**नाम अमर कर ,युगों युगों तक राज करो**
कुदरत ने जो रूप दिया है।
उसी पर तुम तो नाज करो।।
बनावटी कृतिम श्रृंगारों से ,
कभी-कभी तो एतराज करो।।
प्रकृति ने वैसे ही, क्या कमी रखी है ।
आपके श्रंगार में,
कुछ अच्छा कर गुजरो।
अपने हक का काज करो।।
दर्पण के सामनेआजकल।
बहुत वक्त गुजारा करते हो।।
मेला न रह जाए मन दर्पण।
इस पर विचार जराआज करो।।
यह लगाया,वह लगाया।
मिट्टी की काया को खूब सजाया।।
काया तो मिट्टी में मिल जाती,
दे जाओ युग को कुछ अनुनय।
नाम अमर कर युगों – युगों तक राज करो।।
राजेश व्यास अनुनय