नववर्ष संकल्प
होता है
एक साल
तीन सो पैंसठ
दिन का
गुजरते हैं दिन
कुछ अच्छे
कुछ खराब
करते हैं काम
कुछ अच्छे
कुछ बुरे
मिलतीं हैं
कुछ खुशियाँ
कुछ गम
बढ़ता है
कहीं अपनापन
कहीं अलगाव
कहानी है
ये छोटी सी
वक्त की
अब छांटना है
हमें नव संकल्प
ले कर
करें अच्छा
बांटे खुशियाँ
हों सब तरफ
बस भाईचारा
और जज़्बा
देश प्रेम का
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल