तन्हा ख़्याल
छोड़ दे ज़िद हमें जलाने की
हश्र तेरा भी मुझसा होना है।
उम्र कटती नहीं अकेले में,
अब कोई छेड़ता नहीं मुझको।
फरिश्तों से दुआ न माँगों तुम,
हो न ऐसा कि रो पड़े आँखें।
जिंदगी से करें शिकायत हम,
बेहतर है यही कि मर जाये।
उसके मरने पर उसे इल्ज़ाम न दो।
खुदकशी करना इतना भी आसां नहीं।
#बाग़ी