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18 May 2024 · 1 min read

तिश्नगी

सोचते रहते अक्सर
ये जिन्दगी क्या है,
कल क्या है,
आज क्या है,
कल क्या है,
सभी समय की परतों में
आबद्ध ,नदी सा
बहता मन के भीतर,
किसी भी आयाम में
कहाँ ठहरा हुआ है?
ठहराव की तिश्नगी ,
खुद को पाने की तिश्नगी,
मिट कर कुछ होने की तिश्नगी,
कुछ होकर मिट जाने की तिश्नगी,
सोचते रहते अक्सर
तिश्नगी में तिश्नगी
जाने ये कैसी तिश्नगी?
पूनम कुमारी (आगाज ए दिल)

1 Like · 76 Views
Books from पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
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