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6 Mar 2020 · 1 min read

नफरत झूठ से

हो जाता है
मजबूत
सत्य
जब
लगने लगता
झूठ
सत्य

लदा होता है
झूठ
श्रृंगार से
बेबस नंगा
रहता है
सत्य

बसता है
अटारी में
झूठ
फटेहाल
रहता है
सत्य
फिर भी
डिगता नहीं
अपनी
राह से
सत्य

होती सदा
जीत
सत्य की
एक
फरेब है
झूठ

चलते जो
जीवनपर्यन्त
सत्य सादगी से
लेता नाम
ज़माना
ईज्जत से

यूँ तो
जीते मरते
लोग करोडों
बस रहते याद
सत्यवादी
हरिश्चंद्र ही

है ये शरीर
हाड़ मांस का
मिल जायेगा
धूल ज़मीं में
दिया है
ईश ने
ये मानव जन्म
जीलो इसे
सत्य ईमान से

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
1 Comment · 513 Views
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