“नदी की सिसकियाँ”
“नदी की सिसकियाँ”
राहगीरों के कण्ठ
कैसे तर करे,
दीन-दुखियों के दुःख
कैसे दूर करे,
नदी की सिसकियाँ
सुनता हूँ मैं,
उसकी हालत देखकर
घुलता हूँ मैं।
“नदी की सिसकियाँ”
राहगीरों के कण्ठ
कैसे तर करे,
दीन-दुखियों के दुःख
कैसे दूर करे,
नदी की सिसकियाँ
सुनता हूँ मैं,
उसकी हालत देखकर
घुलता हूँ मैं।