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17 Nov 2018 · 1 min read

नजर भी आ रहा है अब

तिरा मासूम सा चेहरा नजर भी आ रहा है अब
तेरी फितरत परख़ने का हुनर भी आ रहा है अब

तेरे वादे , तेरी कसमें , तेरी महफिल , तेरे नगमें
तेरा खुद पे इतराना नजर भी आ रहा है अब

बिना तेरे नहीं जीना फकत मरना ही था बेहतर
इरादा तो किया पहले जहर भी आ रहा है अब

न मैं कोई सितारा था न दुनियाँ का सहारा था
मुझे मशहूर होना था हुनर भी आ रहा है अब

भटकना ही मेरी फितरत में शामिल है तो क्या करता
मेरी मंजिल को पाने का सफर भी आ रहा है अब

अरे “योगी” तू उलझा क्यों सफर को हमसफर करले
बहुत गमगींन रस्तों का सफर भी आ रहा है अब

रचनाकार-योगेन्द्र योगी
मोबाइल नंबर – 7607551907 ?

4 Likes · 1 Comment · 369 Views
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