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16 Apr 2022 · 1 min read

कन्या रूपी माँ अम्बे

ओढ़ के चुनरी, कर श्रृंगार,
नन्हीं वैष्णवी हो गयी तैयार।
माँ अम्बे सा रूप सजाया,
सबके मन को बहुत लुभाया।
हाथों में पहने सुन्दर कंगन,
पैरों में पायल करती छन-छन।
हँसती, गाती, खुशी लुटाती,
कन्या रूपी माँ अम्बे पूजी जाती।

रचनाकार :- कंचन खन्ना,
मुरादाबाद (उ०प्र०, भारत)।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)
दिनांक :- ०५/०४/२०२२.

Language: Hindi
784 Views
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