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22 Sep 2023 · 1 min read

भाव जिसमें मेरे वो ग़ज़ल आप हैं

भाव जिसमें मेरे वो ग़ज़ल आप हैं
आप ही आज हैं मेरा कल आप हैं

जिसकी ख़ुशबू से रहती हूं मैं तरबतर
मन में खिलता हुआ वो कमल आप हैं

हर कसम को निभाया सदा आपने
रहते हर बात पर ही अटल आप हैं

मैं बहाती नहीं अपने आँसू कभी
आँखों में ठहरा है जो वो जल आप हैं

अब मैं तारीफ़ में आपकी क्या कहूँ
गर गगन आप हैं तो ये थल आप हैं

फ़िक करती न मैं ज़िंदगी में कभी
मुश्किलें हैं तो क्या उनका हल आप हैं

‘अर्चना’ मांगे बिन मुझको सब मिल गया
मेरे कर्मों का मानो सुफल आप हैं

डॉ अर्चना गुप्ता
841

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 2208 Views
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