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19 Mar 2023 · 1 min read

नजर का उतारा

किसी की नजर से निकले इश्क
बहुत अजब होता है,
वो सारी दूरियाँ लांघकर
सिर पर चढ़ता है,
किसी ताबीज और बूटी के
पल्ले नहीं पड़ता है।

वैद्य, हकीम, मुल्लाओं को भी
कुछ समझ नहीं आता,
ब्रह्माण्ड के सारे ग्रह-नक्षत्र भी
बिना काम के हो जाता।

ऐ दोस्त, अगर उतरे हों तो
रंग चढ़ाकर सुधारें,
मगर नज़र का उतारा
आखिर हम कैसे उतारें?

– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
(भारत भूषण सम्मान 2022-23 से सम्मानित)

Language: Hindi
8 Likes · 2 Comments · 111 Views
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