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16 Jan 2024 · 1 min read

नकाबे चेहरा वाली, पेश जो थी हमको सूरत

नकाबे चेहरा वाली, पेश जो की थी हमको सूरत।
हमको तो शक था पहले, नहीं है असली यह सूरत।।
नकाबे चेहरा वाली ———————————-।।

कैसे तुमने समझ लिया, हमको तुमसे कम विद्वान।
हमने पढ़ाये है तेरे जैसे, चेहरे यहाँ कल को बहुत।।
नकाबे चेहरा वाली ———————————-।।

देखकर तेरी पेशगी, लगी तू हमको बहुत बेदर्द।
नहीं तू प्यार के काबिल, नहीं तू प्यार की सूरत।।
नकाबे चेहरा वाली ———————————-।।

हमने तो सोचा नहीं था, होगी तू इतनी अहमी।
नहीं तुझमें तहजीब, नहीं है तेरी हमको जरूरत।।
नकाबे चेहरा वाली ———————————-।।

तू ही करेगी हमारी गुलामी, मैं नहीं करता गुलामी।
मुझमें नहीं है कोई कमी, बदल लें तू अपनी सूरत।।
नकाबे चेहरा वाली ———————————-।।

लूटना तू चाहती है हमको, अपने पर्दे की ओट से।
बतायेंगे तेरी हकीकत तो, तब क्या होगी तेरी सूरत।।
नकाबे चेहरा वाली ———————————-।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

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