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29 Sep 2023 · 1 min read

**मन में चली हैँ शीत हवाएँ**

**मन में चली हैँ शीत हवाएँ**
************************

मन में चली हैँ शीत हवाएँ,
दिल से बुलाती आन सदाएँ।

जीना हुआ मुश्किल सा हमारा,
कातिल अदा मन नीर बहाए।

आँधी चली तन मार कटारी,
छाई गगन पर श्याम घटाएँ।

नभ की परी से जान बचाई,
दो चार दिल की बात बताएँ।

अद्भुत मिली सीता राम निशानी,
नगमें तराने गीत सिखाएँ।

जब से चली है प्रेम कहानी,
प्यासे दिलों में प्रीत बढ़ाए।

ये प्यार मनसीरत चाँद सितारे,
थल पर हमें आ खूब रिझाएँ।
*************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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