दो पल मिलो सजना
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कभी आ कर हमें दो पल मिलो सजना।
कहीं दो दिल खिलें दो पल मिलो सजना।
नहीं मुमकिन अकेले हम अलग मरते,
हमीं मर कर जियें दो पल मिलो सजना।
कहाँ पर थम गई बातें हुई सारी,
वहीं हों सिलसिले दो पल मिलो सजना।
बिना तेरे हुआ जीना बहुत मुश्किल,
सफर मिलकर कटे दो पल मिलो सजना।
डगर पर साथ मनसीरत चलो हमदम,
कदम हरदम मिले दो पल मिलो सजना।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)