Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Feb 2024 · 1 min read

दर्द व्यक्ति को कमजोर नहीं बल्कि मजबूत बनाती है और साथ ही मे

दर्द व्यक्ति को कमजोर नहीं बल्कि मजबूत बनाती है और साथ ही में धैर्य और सहनशक्ति को बढ़ाती है।
RJ Anand Prajapati

46 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कछुआ और खरगोश
कछुआ और खरगोश
Dr. Pradeep Kumar Sharma
रक्त से सीचा मातृभूमि उर,देकर अपनी जान।
रक्त से सीचा मातृभूमि उर,देकर अपनी जान।
Neelam Sharma
💐प्रेम कौतुक-335💐
💐प्रेम कौतुक-335💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
■ आज की बात...
■ आज की बात...
*Author प्रणय प्रभात*
दौर कागजी था पर देर तक खतों में जज्बात महफूज रहते थे, आज उम्
दौर कागजी था पर देर तक खतों में जज्बात महफूज रहते थे, आज उम्
Radhakishan R. Mundhra
भक्ति एक रूप अनेक
भक्ति एक रूप अनेक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
फ़साने
फ़साने
अखिलेश 'अखिल'
भूख-प्यास कहती मुझे,
भूख-प्यास कहती मुझे,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
शायद मेरी क़िस्मत में ही लिक्खा था ठोकर खाना
शायद मेरी क़िस्मत में ही लिक्खा था ठोकर खाना
Shweta Soni
होली के कुण्डलिया
होली के कुण्डलिया
Vijay kumar Pandey
3129.*पूर्णिका*
3129.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ४)
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ४)
Kanchan Khanna
शोभा वरनि न जाए, अयोध्या धाम की
शोभा वरनि न जाए, अयोध्या धाम की
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*चली आई मधुर रस-धार, प्रिय सावन में मतवाली (गीतिका)*
*चली आई मधुर रस-धार, प्रिय सावन में मतवाली (गीतिका)*
Ravi Prakash
-- अजीत हूँ --
-- अजीत हूँ --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
लोग एक दूसरे को परखने में इतने व्यस्त हुए
लोग एक दूसरे को परखने में इतने व्यस्त हुए
ruby kumari
रेत और जीवन एक समान हैं
रेत और जीवन एक समान हैं
राजेंद्र तिवारी
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि का परिचय।
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि का परिचय।
Dr. Narendra Valmiki
एक अर्सा हुआ है
एक अर्सा हुआ है
हिमांशु Kulshrestha
खूब ठहाके लगा के बन्दे !
खूब ठहाके लगा के बन्दे !
Akash Yadav
खेलों का महत्व
खेलों का महत्व
विजय कुमार अग्रवाल
महीना ख़त्म यानी अब मुझे तनख़्वाह मिलनी है
महीना ख़त्म यानी अब मुझे तनख़्वाह मिलनी है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
खेत रोता है
खेत रोता है
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
कहीं ना कहीं कुछ टूटा है
कहीं ना कहीं कुछ टूटा है
goutam shaw
It’s all be worthless if you lose your people on the way..
It’s all be worthless if you lose your people on the way..
पूर्वार्थ
तुम जा चुकी
तुम जा चुकी
Kunal Kanth
अभिमान
अभिमान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
इंसानियत का वजूद
इंसानियत का वजूद
Shyam Sundar Subramanian
अनसोई कविता............
अनसोई कविता............
sushil sarna
Loading...