Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Aug 2023 · 2 min read

कछुआ और खरगोश

कछुआ और खरगोश

नंदनवन में एक खरगोश रहता था। नाम था उसका- चिपकू। चिपकू बहुत घमंडी, बड़बोला तथा चटोरा था। एक दिन वह एक पेड़ के नीचे बैठा आराम कर रहा था। उधर से लोमड़ी मौसी गुजरीं। दुआ सलाम के बाद मौसी बोली- ‘‘क्या बात है बेटा चिपकू ! कुछ परेशान से लग रहे हो।’’
चिपकू बोला- ‘‘क्या बताऊँ मौसी जी, सालों पहले एक पूर्वज ने हमारी नाक कटा के रख दी है। हमारी गिनती संसार के सबसे तेज दौड़ने वालों में होती है, पर एक कछुआ से हारकर उसने हमारी इज्जत मिट्टी में मिला दी है।’’
लोमड़ी मौसी बोेलीं- ‘‘बेटा चिपकू, यदि तुम चाहो तो इस कलंक को मिटा सकते हो।’’
चिपकू ने आश्चर्य से पूछा- ‘‘वो कैसे मौसी जी ?’’
लोमड़ी मौसी बोलीं- ‘‘एक बार फिर कछुआ के साथ दौड़ लगाओ और उसे हराकर इस कलंक को हमेशा के लिए धो डालो।’’
चिपकू ने पूछा- ‘‘क्या ऐसा हो सकता है मौसी ?’’
लोमड़ी मौसी बोेलीं- ‘‘हाँ-हाँ क्यों नहीं।’’
चिपकू प्रसन्नता से बोला- ‘‘मौसी, यदि तुम एक बार फिर कछुआ को दौड़ के लिए राजी कर दो, तो मैं ही नहीं, पूरी कछुआ जाति आपका अहसान मानेगी।’’
लोमड़ी मौसी बोली- ‘‘ठीक है, मैं कोशिश करती हूँ।’’
लोमड़ी मौसी कछुआ के पास गई। पहले तो वह ना-नुकूर करता रहा पर लोमड़ी मौसी के बार-बार उकसाने और धिक्कारने पर दौड़ने के लिए राजी हो गया।
निश्चित दिन और समय पर दौड़ शुरु हुआ। महाराज शेर सिंह इसके निर्णयक बने। मुकाबला देखने के लिए जंगल लाखों जानवर इकट्ठे हुए थे। महामंत्री गजपति नाथ ने हरी झंडी दिखाकर दौड़ शुरु करवाई।
खरगोश बहुत तेज दौड़ा। कुछ दूर जाने के बाद उसने पीछे मुड़कर देखा तो कछुआ नहीं दिखा, पर चने के हरे भरे खेत दीख गए। वह खुद को न रोक सका। चने तोड़ तोड़कर जल्दी-जल्दी खाने लगा। थोड़ी देर बाद उसे चक्कर आने लगा और वह बेहोश हो गया।
उधर कछुआ ने धीरे-धीरे चलकर दौड़ पूरा कर लिया।
महाराज शेरसिंह ने उसे विजेता घोषित कर पुरस्कृत किया।
कीड़ों से बचाने के लिए किसान ने चने के खेत में कीटनाशक दवाई का छिड़काव किया था। बिना साफ किए खाने से कुछ दवाई चिपकू खरगोश के पेट में चली गई थी।
देर रात जब उसेे होश आया तो वह समझ गया कि एक बार फिर बाजी हार चुका है।
डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़

231 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कर्मफल भोग
कर्मफल भोग
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
यादों के झरने
यादों के झरने
Sidhartha Mishra
कविता
कविता
Vandana Namdev
रंगरेज कहां है
रंगरेज कहां है
Shiva Awasthi
डा. तुलसीराम और उनकी आत्मकथाओं को जैसा मैंने समझा / © डा. मुसाफ़िर बैठा
डा. तुलसीराम और उनकी आत्मकथाओं को जैसा मैंने समझा / © डा. मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
मनमोहन छंद विधान ,उदाहरण एवं विधाएँ
मनमोहन छंद विधान ,उदाहरण एवं विधाएँ
Subhash Singhai
*
*"मुस्कराहट"*
Shashi kala vyas
हर एक शख्स से ना गिला किया जाए
हर एक शख्स से ना गिला किया जाए
कवि दीपक बवेजा
बहुत-सी प्रेम कहानियाँ
बहुत-सी प्रेम कहानियाँ
पूर्वार्थ
जानना उनको कहाँ है? उनके पते मिलते नहीं ,रहते  कहीं वे और है
जानना उनको कहाँ है? उनके पते मिलते नहीं ,रहते कहीं वे और है
DrLakshman Jha Parimal
वो तसव्वर ही क्या जिसमें तू न हो
वो तसव्वर ही क्या जिसमें तू न हो
Mahendra Narayan
पीक चित्रकार
पीक चित्रकार
शांतिलाल सोनी
■ लीजिए संकल्प...
■ लीजिए संकल्प...
*Author प्रणय प्रभात*
"ये कैसी चाहत?"
Dr. Kishan tandon kranti
ज़िंदगी में बेहतर नज़र आने का
ज़िंदगी में बेहतर नज़र आने का
Dr fauzia Naseem shad
आख़री तकिया कलाम
आख़री तकिया कलाम
Rohit yadav
कोई फैसला खुद के लिए, खुद से तो करना होगा,
कोई फैसला खुद के लिए, खुद से तो करना होगा,
Anand Kumar
दिल-ए-साकित सज़ा-ए-ज़िंदगी कैसी लगी तुझको
दिल-ए-साकित सज़ा-ए-ज़िंदगी कैसी लगी तुझको
Johnny Ahmed 'क़ैस'
खैर-ओ-खबर के लिए।
खैर-ओ-खबर के लिए।
Taj Mohammad
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
एक ख्वाब थे तुम,
एक ख्वाब थे तुम,
लक्ष्मी सिंह
संवेदनहीन प्राणियों के लिए अपनी सफाई में कुछ कहने को होता है
संवेदनहीन प्राणियों के लिए अपनी सफाई में कुछ कहने को होता है
Shweta Soni
अब कुछ बचा नहीं बिकने को बाजार में
अब कुछ बचा नहीं बिकने को बाजार में
Ashish shukla
💐प्रेम कौतुक-421💐
💐प्रेम कौतुक-421💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*शादी के पहले, शादी के बाद*
*शादी के पहले, शादी के बाद*
Dushyant Kumar
ఓ యువత మేలుకో..
ఓ యువత మేలుకో..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
*दलबदलू माहौल है, दलबदलू यह दौर (कुंडलिया)*
*दलबदलू माहौल है, दलबदलू यह दौर (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
वरदान
वरदान
पंकज कुमार कर्ण
सुख दुख
सुख दुख
Sûrëkhâ Rãthí
3028.*पूर्णिका*
3028.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...