Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Sep 2023 · 1 min read

ज़िंदगी में बेहतर नज़र आने का

ज़िंदगी में बेहतर नज़र आने का
मतलब ये नहीं होना चाहिए,
कि आपकी बनावट में आपका
अपना वजूद ही गुम हो जाए,
बदलाव आपके अंदर से आना
चाहिए न कि दूसरों के कहने से ।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
5 Likes · 274 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all
You may also like:
शुद्धता का नया पाठ / MUSAFIR BAITHA
शुद्धता का नया पाठ / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
14) “जीवन में योग”
14) “जीवन में योग”
Sapna Arora
कैसे लिखूं
कैसे लिखूं
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
"पनाहों में"
Dr. Kishan tandon kranti
नवसंवत्सर 2080 कि ज्योतिषीय विवेचना
नवसंवत्सर 2080 कि ज्योतिषीय विवेचना
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
⚜️गुरु और शिक्षक⚜️
⚜️गुरु और शिक्षक⚜️
SPK Sachin Lodhi
नसीहत
नसीहत
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*रद्दी अगले दिन हुआ, मूल्यवान अखबार (कुंडलिया)*
*रद्दी अगले दिन हुआ, मूल्यवान अखबार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
हर रिश्ते में विश्वास रहने दो,
हर रिश्ते में विश्वास रहने दो,
Shubham Pandey (S P)
याद करेगा कौन फिर, मर जाने के बाद
याद करेगा कौन फिर, मर जाने के बाद
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
नारी हूँ मैं
नारी हूँ मैं
Kavi praveen charan
Suni padi thi , dil ki galiya
Suni padi thi , dil ki galiya
Sakshi Tripathi
मंजिल तक का संघर्ष
मंजिल तक का संघर्ष
Praveen Sain
*कभी मिटा नहीं पाओगे गाँधी के सम्मान को*
*कभी मिटा नहीं पाओगे गाँधी के सम्मान को*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सत्य कड़वा नहीं होता अपितु
सत्य कड़वा नहीं होता अपितु
Gouri tiwari
ऐसा इजहार करू
ऐसा इजहार करू
Basant Bhagawan Roy
3185.*पूर्णिका*
3185.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
* मुस्कुराना *
* मुस्कुराना *
surenderpal vaidya
मैं नही चाहती किसी के जैसे बनना
मैं नही चाहती किसी के जैसे बनना
ruby kumari
माना कि दुनिया बहुत बुरी है
माना कि दुनिया बहुत बुरी है
Shekhar Chandra Mitra
डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
कवि रमेशराज
■ शेर
■ शेर
*Author प्रणय प्रभात*
नैन मटकका और कहीं मिलना जुलना और कहीं
नैन मटकका और कहीं मिलना जुलना और कहीं
Dushyant Kumar Patel
सच तो हम इंसान हैं
सच तो हम इंसान हैं
Neeraj Agarwal
क्यों दोष देते हो
क्यों दोष देते हो
Suryakant Dwivedi
*मेरा वोट मेरा अधिकार (दोहे)*
*मेरा वोट मेरा अधिकार (दोहे)*
Rituraj shivem verma
बगिया
बगिया
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
बहुत हैं!
बहुत हैं!
Srishty Bansal
చివరికి మిగిలింది శూన్యమే
చివరికి మిగిలింది శూన్యమే
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
Loading...