■ शर्म भी शर्माएगी इस बेशर्मी पर।
बाल दिवस विशेष- बाल कविता - डी के निवातिया
*बहन और भाई के रिश्ते, का अभिनंदन राखी है (मुक्तक)*
अर्जुन धुरंधर न सही ...एकलव्य तो बनना सीख लें ..मौन आखिर कब
नींव में इस अस्तित्व के, सैकड़ों घावों के दर्द समाये हैं, आँखों में चमक भी आयी, जब जी भर कर अश्रु बहाये हैं।
मणिपुर कौन बचाए..??
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बोये बीज बबूल आम कहाँ से होय🙏
जब भी तू मेरे दरमियाँ आती है
February 14th – a Black Day etched in our collective memory,
चुपचाप सा परीक्षा केंद्र"
शाखों के रूप सा हम बिखर जाएंगे
दिव्यांग वीर सिपाही की व्यथा