दुश्मन ए जां से मोहब्बत हो गई

उनको क्या हमसे मोहब्बत हो गई
ज़िदगानी खूबसूरत हो गई
हर गुनाहों की जो कसरत हो गई
यूँ ख़फा हम सबसे क़ुदरत हो गई
दुनिया में जैसे क़यामत हो गई
हर तरफ अब इतनी दहशत हो गई
बात ये भी तो हक़ीक़त हो गई
जिंदगानी बेमुरव्वत हो गई
उनकी जो नज़रे इनायात हो गई
हमसे भी देखो शरारत हो गई
हो गया आखिर करिश्मा किस तरह
दुश्मन ए जां से मोहब्बत हो गई
हर कोई रखने लगा हमसे हसद
क्या हमारी इतनी शोहरत हो गई
याद भी करता नहीं है जो कभी
क्यों हमें उसकी जरूरत हो गई
आप हमसे प्यार क्या करने लगे
हर किसी को हमसे नफरत हो गई
अद्ल का नामों निशां तक मिट गया
ज़ुल्म की आतिफ़ हकूमत हो गई
इरशाद आतिफ़ अहमदाबाद