दुनिया में कहीं नहीं है मेरे जैसा वतन
सारी दुनिया में कहीं नहीं है, मेरे जैसा वतन
अलग अलग बोली भाषाएं, फिर भी एक है मन ।सारी……
कई धर्म संप्रदाय यहां हैं, सबका एक जतन
मानव के कल्याण में , लगा हुआ जन जन ।सारी…….
सत्य शांति दया क्षमा, हर दिल में पाई जाती है
त्याग तपस्या बलिदानों की, गाथा गाई जाती है
प्रेम शांति सद्भाव यहां है, चारों ओर अमन ।सारी…….
यहां उर्वरा धरती है, भंडार अन्न के भरती है
सब ओर सघन वन शैल शिखर, नदियां बहतीं निर्मल निर्झर
छह ऋतुओं से शोभित धरती,गुलजार यहां है सारा चमन । सारी…..
हैं उत्सव धर्मी लोग यहां, हर हाल मैं मौज मनाते हैं
चाहे खुशी या गम हो, मिलकर सभी मनाते हैं
सामाजिक ताने-बाने से, जुड़ा हुआ जीवन । सारी…..
दर्शनीय मंदिर मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारे
दर्शनीय सब किले महल, प्रकृति के अजब नजारे
बेजोड़ यहां है कला शिल्प, जो मोह लिया करता है मन । सारी…….
सब धर्मों के तीर्थ यहां, अध्यात्म प्रेम की रीत यहां
ज्ञानी और विज्ञानी हैं, युग युग की कथा कहानी है
ईश्वर ने भी इस धरती पर, पाया है नर तन ।सारी…….. सामाजिक समरसता है, प्यार हर दिल में बसता है
अतिथि देवो भव का पालन करता है जन जन ।…..
यहां पक्के रिश्ते नाते हैं, मरते दम तक सभी निभाते हैं
गंगा जमुनी संस्कृति के, किस्से बहुत पुराने हैं
त्याग और बलिदान को सुनकर, भीग जाए अंतर्मन ।सारी.
कहीं न ऐंसी बादी है, न ऐंसी आजादी है
अनेकता में एकता का, ऐसा नहीं मिलन । सारी…..…
साहित्य कला संगीत नृत्य का है समृद्ध खजाना
प्राचीन काल से दुनिया ने, वैभव को इसके पहचाना
वेद और विज्ञान धरा पर, दुनिया में हमसे जाना
आयुर्वेद और योग शास्त्र से, स्वस्थ रहे सबका तन मन । सारी……
ज्ञान कर्म और दान धरम की, रीत है बड़ी अनूठी
प्राण जाए पर वचन ना जाए, प्रीत न अब तक टूटी
धर्म कर्म से चलता है, मेरे भारत का जन-जन ।…….
यहां लगते हर दम मेले हैं, लोग बड़े अलबेले हैं
कुंभ अनूठे होते हैं, सब मिलकर निर्मल होते हैं
तीज त्योहार मनाते हैं, हंसते नाचते गाते हैं
रंग-बिरंगे परिधानों को, कोई ना पाए गिन । सारी……
खाने पीने मैं षटरस हैं, अनगिनत यहां व्यंजन हैं
हर अंचल का खाना पीना, मोहित कर दे सबका मन । सारी……
सुरेश कुमार चतुर्वेदी