!! दर्द भरी ख़बरें !!
“भड़क” उठीं चिंगारियां
था ख़ामोश शहर कल
बेख़ौफ़ हवाओं में
होने लगी हलचल
—– सम्हल सम्हल के चल
दर्द भरी ख़बरें
सुन सुन हुए पागल
दहशत में हर शहर है
हर नैन है सजल
—– सम्हल सम्हल के चल
बेचैनियों से गुज़रे
आँसुओं से भरा पल
सोचा भी नहीं था कि
ऐसा भी होगा कल
—– सम्हल सम्हल के चल
आहत पिता का हृदय
आहत मां का आंचल
सैलाब आँसुओं का
हर तरफ है आजकल
—– सम्हल सम्हल के चल
आगोश में लेने को यूं
पीछे पड़ी क्यूं मौत
सावधानियों का पहलू
पकड़ पकड़ के चल
—– सम्हल सम्हल के चल
सरकार के भरोसे
रूकते नहीं आंसू
ख़ुद पर यक़ीन कर
या ढूंढ कोई हल
—– सम्हल सम्हल के चल
जागती है इंतजार में
सोती नहीं है मां
आँसुओं के समंदर में
डूबती है आज़ कल
—– सम्हल सम्हल के चल
•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता -मऊ- (उ.प्र.)