“दर्द के फूल”
“दर्द के फूल”
यहाँ दर्द के फूल खिलते हैं
और खिल के बिखर जाते हैं,
चन्द लम्हों का सफर नहीं
यूँ ना आँखें दो-चार कीजिए।
“दर्द के फूल”
यहाँ दर्द के फूल खिलते हैं
और खिल के बिखर जाते हैं,
चन्द लम्हों का सफर नहीं
यूँ ना आँखें दो-चार कीजिए।