दण्डकारण्य
विन्ध्याचल से गोदावरी तक फैला
मध्य-पूर्व का क्षेत्र,
कहानी की किताबों में मिलता जो
दण्डक वन का क्षेत्र।
बयानबे हजार वर्ग किलोमीटर का
अति विशाल पठार,
छत्तीसगढ़ उड़ीसा आंध्र तक फैला
साल वनों का संसार।
नल वाकाटक औ’ चालुक्य शासकों ने
किए यहाँ पर शासन,
गोंड़ जनजातियों का निवास क्षेत्र यह
जलोढ़-दोमट में भाजन।
नैसर्गिक सौन्दर्य से भरा-पूरा क्षेत्र
मन्द-मन्द मुस्काता,
सभ्यता के प्रकाश से कोसों दूर जो
अबूझमाड़ कहलाता।
पर्यटकों के लिए कोई स्वर्ग सा लगता
अभ्यारण गुफा प्रपात,
इन्द्रावती नदी इसकी है जीवन-रेखा
रोमांचित करते घाट।
शेर चीता भालू सांभर वनभैसों का
एक भरा- पूरा संसार,
मोर मैना तोता तीतर और बुलबुल
खनिज संसाधन भी अपार।
(मेरी सप्तम काव्य-कृति : ‘सतरंगी बस्तर’ से..)
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।