त्याग की देवी- कोशी
कौन कहता है
जंगल के इंसानों से बेहतर है
सभ्य-शिक्षित लोग,
हम लोग करते हैं प्रेम मगर
वो करते हैं शोध।
ये रूहानी शब्द है
उस त्याग की देवी कोशी का
जो महज तेरह की उम्र में
ब्रिटिश वेरियर एल्विन से
करके शादी दो बच्चों की माँ
और एक अबूझ किस्सा बनी,
और एल्विन के शोध कार्य का
सिर्फ एक हिस्सा बनी।
महज तेईस की उम्र से जिसने
एकाकी जीवन जिया,
उस रिश्ते को उम्र भर उसने
पूरे शिद्दत से ढोया।
बेशक उस वेरियर एल्विन ने
खूब नाम तो कमाया,
मगर एक अच्छे पति का उसे
सम्मान मिल न पाया।
किताबों-तस्वीरों के जरिये कोशी
जीवन भर चर्चा में बनी रही,
बाइस दिसम्बर दो हजार दस को
अन्ततः स्वर्ग सिधार गई।
मगर अफसोस तो यह कि
कभी प्रधानमंत्री निवास की
विशिष्ट मेहमान रही कोशी,
जिसकी अन्तिम विदाई बेला में
लोगों की संख्या नगण्य रही।
( मेरी सप्तम काव्य-कृति : ‘सतरंगी बस्तर’ से..)
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
बेस्ट पोएट ऑफ दी ईयर 2023
हरफनमौला साहित्य लेखक।