तुम जो मिले तो
तुम जो मिले तो तुझमें ख़ुद को
पाने की इक कोशिश की है।
भूल गया मैं ख़ुद को जाने
क्या पाने की ख़्वाहिश की है।
मेरी खुशी को मैं तरसूँ
पर तेरे ग़म में अश्रु बहाऊँ
मनमौजी मन का पंछी
है कैद कहाँ कुछ जान न पाऊँ।
बुझे हुए दीपक ने फिर
जल उठने की फरमाइश की है।
तुम जो मिले तो तुझमें ख़ुद को
पाने की इक कोशिश की है।