भजन -मात भवानी- रचनाकार -अरविंद भारद्वाज
वर्तमान के युवा शिक्षा में उतनी रुचि नहीं ले रहे जितनी वो री
यादों की बारिश
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
जो मुस्किल में छोड़ जाए वो यार कैसा
आंखों से पिलाते हुए वो रम चली गई।
"मुस्कुराते हुए ही जिऊंगा"
माँ वीणा वरदायिनी, बनकर चंचल भोर ।
वो एक संगीत प्रेमी बन गया,
*चरण पादुका भरत उठाए (कुछ चौपाइयॉं)*
None Other Than My Mother
ये रात है जो तारे की चमक बिखरी हुई सी