तस्दीक-ए-हिफ़ाज़त
अरि दल भंजन कर सके,
न कोई ऐसा वीर यहाँ।
नारी के सम्मान की खातिर,
आवाज बने शमशीर जहाँ।
उठ चल स्वरक्षा कर बेटी ,
बचा शिवा सा वीर कहाँ।
काट दे, छाँट दे, ऐसी लताड़ दे,
कोसे हवशी तकदीर सदा।
काली बन, कंकाली बन,
ले रूप खड़ग-शमशीर का।
जहाँ भेड़िये वहशी कुत्ते,
वहाँ काम बस तीर का।