जिंदगी में शामिल हुआ
***** जिंदगी में शामिल हुआ (ग़ज़ल) ******
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आ गया वो साथ मेरी जिंदगी में शामिल हुआ,
मैं न जाने किस कदर उसके लिए काबिल हुआ।
क्या नहीं कुछ भी किया मालूम उसको है कहाँ,
वो कठिन सी मेहनत से ही हमें हासिल हुआ।
प्रेम का साया मिला सबकुछ मिला मुझको यहाँ,
यार मेरा तीर सा साबित सही साहिल हुआ।
जब जफ़ा दे कर गया वापिस न लौटा वो कभी,
मैं समझदारी दिखा कर सिद्ध जाहिल हुआ।
रात मनसीरत सदा नभ में सितारे है गिने,
चाँद सा दीदार दे प्यारा सनम मंजिल हुआ।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)