जिंदगी के तराने
जिंदगी और मेरे तराने –
ज़िंदगी के गीत गाता जा रहा हूँ जिंदगी चलता बढ़ता जा रहा हूं।।
जिंदगी कि इच्छा और परीक्षा जिंदगी कि परीक्षा में उतरता पराक्रम परिणाम जिये जा रहा हूँ।।
जिंदगी तमश उजियार जिंदगी संघर्ष संग्राम जिंदगी के कुरुक्षेत्र में सारथी नारायण का साथ जिंदगी में तरंग उमंग तराने गुन गुना रहा हूँ।।
जिंदगी कहीं गहराई शर्माई कही गम कि पहाड़ दर्द जख्म जिंदगी के तरानों का तरन्नुम बनाये जा रहा हूँ ।।
जिंदगी के तूफानों में भी हँसी मुस्कान जिंदगी के तरानों का शान जिये जा रहा हूँ ।।
रिश्ते और नातों का प्यार तिरस्कार धोखा फरेब जिंदगी के तरानों में खास लिए जा रहा हूँ।।
जहर आंसू का प्याला हाला नशे की मस्त जिंदगी जिये जा रहा हूँ
कहीं है भीड़ दुनियां में कहीं है तन्हाई विरह कि वेदना जिंदगी कि दौलत लिए जिये जा रहा हूँ।।
कभी हालात का मारा कभी किस्मत का मारा कभी रिश्तो का मारा जिंदगी के तरानों में गाए जा रहा हूँ।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।