जागो बहन जगा दे देश 🙏
जागो बहन जगा दे देश 🙏
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जागो बहन जगा दे देश
गहरी नींद क्यों सोयी हो
उठ जागने और जगाने की
बेला है वक्त कहां सो सोयी हो
टुक नींद से आंखे खोल
चैन कहां है तू सोवत हो
वक्त आ गया है बहना अब
कुछ कर जग को जगाने का
अचेतन छोड़ चेतन मन
उठ जाग सचेत हो जाना
आवरू लूट रही बहना का
चौंक चौराहे गली आंगन में
घास पात फूलबाड़ी झाड़ी में
आग लगा दे पातक पापी को
कांटे जंगल में जहां तड़पती
बहना पुकार रही जान बचाने
अबला मन छोड़ सबला बन
उठा खड़ग नाजुक बांहों से
काट तोड़ मरोड़ उस कलाई को
जिस पर रेशम डोरी राखी बांधी
पुरुष बन भीरु छिपा पौरुष मुक
बधीर हो जाता है तब रक्षा राखी
अधिकार से धिक्कार देती है
उठ जाग रे अबला ! खड़ी हो तू
जला दे ब्रह्माण्ड की पापी लंका
तोड़ घमण्ड फोड़ पातक आंखे
बुरी निगाह डाली तेरी बहना पे
अंध मरीज बना दे इसे आज तू
मां रोती बोलती है बिटिया की
मैं हुं आभागिन जन्म प्रदायनी
नारी बचा सम्मान दिला जीने का
निज अधिकार दिला दे जीवन का
हुंकार से अहंकार तोड़ दे आज
उठ जाग पाप मिटा दे जग का
तेरी दशा पर प्रकृति रानी रोती
हाय मेरी नन्ही प्यारी बिटिया
आभागीन मैं एक माता तेरी
विवस लाचार देख रही खड़ी
दौड़ रही इंसाफ मांगने शासन
प्रशासन कानून के रखवालों से
उठ जाग मुझे भी बचा ले
मैं भी हूं किसी की बहना
अकेली मत छोड़ कभी मुझे
भागम दोड़ से थक गई हूं मैं
इंसाफ नहीं चकनाचुर हुई हुं
हे ! मां बेटी जग की बहना !
सबल सर्तक जग जीवन जीयो
आबरू श्रृंगार बचा सत्कार लाओ
देश का अभिमान गौरव बनों
दे संदेश ! नारी ही लक्ष्मी दुर्गा
काली सरस्वती विपदा में भी
शाहस हिम्मत बल भरने वाली
ममतामयी कल्याणी मां एक
जग नगीना तू ही एक बहना ।
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तारकेश्वर प्रसाद तरुण