जल संरक्षित (काव्य)
जीवन का नींव जल है,
जल बिना न उत्तम कल है,
बिना जल मरना पल-पल है,
बूँद-बूँद संरक्षित करना जल है।
बिना जल कोई भी प्राणवान,
अंध पाए न वसुधा पर,
वसुधा की अमूल्य धरोहर जल है,
बूँद-बूँद संरक्षित करना जल है।
यद्यपि न हुआ जल संचय,
तो पर जाएगा जीवन संकट में,
सोचना हर क्षण-हर पल है,
बूँद-बूँद संरक्षित करना जल है।
प्रकृति का भूषण जल है,
जिंदगी का सार जल है,
इसका बचत करना हर पल है,
बूँद-बूँद संरक्षित करना जल है।
युवा,वृद्ध, माताओं,बहनों
अब तो मानों कहना,
व्यर्थ करो मत जल को,
न तो मिल पाएगा जल कभी,
बूँद-बूँद संरक्षित करना जल है।
अंभ,नीर,उदक,सलिल, वारि
कितने सारे प्रघुम्न है इसके,
साधारण-सा ये अवलोकन है,
कितने सारे काज है इसके,
बूँद-बूँद संरक्षित करना जल है।
मत करो प्रदूषित नदियों,
झीलों, तालाबों, नहरों को,
अन्यथा न मिलेगा स्वच्छ जल पीने को,
बूँद-बूँद संरक्षित करना जल है।
नदियों में न कुठला फैलाओ,
जल ना गर्हित करना होगा,
धरा हमें बचाना है तो,
बूँद-बूँद संरक्षित करना जल है।
स्वच्छ सौम्य ठंडा जल,
ऊष्मा से है राहत देता,
राहत यदि पाना है तो,
बूँद-बूँद संरक्षित करना जल है।
सुंदर भविष्य बनाना है तो,
बूँद-बूँद संरक्षित करना जल है।
✍️✍️✍️ उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालयबेगूसराय, बिहार