जय हो भारत देश हमारे
जय हो भारत देश हमारे !
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धार यहां गंगा यमुना की
चोटी है कंचनजंघा की
दृश्य विहंगम प्यारे-प्यारे
जय -जय भारत देश हमारे।
ऋषि-मुनीयों की अमर्त्य वाणी,
बहती ज्ञान की धारा में !
यहां की मिट्टी निर्मल चंदन
विश्व करे इसका अभिनंदन ।
कण-कण में भगवान विराजे
कंकड़-कंकड़ मे शिव शंकर
चौकीदार गिरिराज हिमालय
सागर नित चरणों को धोते ।
छटा बिखेरे भोर निराली
पुलकित विहंगम का कलरव
वेद-पुराण आदर्श हैं जिनके,
जय -जय भारत देश हमारे।
* मुक्ता रश्मि *
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