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12 Feb 2024 · 1 min read

दोहे- चरित्र

हिन्दी दोहा विषय – चरित्र

जब चरित्र बिकने लगे , धन की हो भरमार |
राना तब होने लगे , पापों का व्यापार ||

पुष्प लगानें जब लगें , अपने ऊपर इत्र |
राना खुश्बू का वहाँ, होता पतन चरित्र ||

सत्य कृत्य के शुचि वचन , होते सदा पुनीत |
राना इनके भाव से , हो चरित्र की जीत ||

जैसी संगत नर करे , हो राना बदलाव |
तब चरित्र होता प्रकट , बतलाता है भाव ||

यदि चरित्र उज्ज्वल रहे , नर बनता गुणवान |
राना रखता पास है , सदा श्रेष्ठ सम्मान ||

राना पत्नी से कहे , तुम घर में हो इत्र |
बोली‌ वह यह सूँघना , सीखा कहाँ चरित्र ||
***
दोहाकार -राजीव नामदेव “राना लिधौरी”
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com

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