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28 Jan 2025 · 1 min read

”तू-मैं इक हो जाएं”

मैं बैठा हूं रात में तेरे ख्यालों में
तू भी दिन‌ की बेचैनी है।।
मैं आज का अंधेरा हूं
तू कल‌ एक नया‌ सवेरा है।।
मैं सुनसान सा इक पल हूं
तू आठों पहर की हलचल है।।
मैं तारों सा टिमटिमाता हूं
तू चन्द्र सा प्रख्यात है।।
चल तू-मैं इक साथ हो जाएं
यही प्रकृति की स्वेच्छा है।।
शिव प्रताप लोधी

Language: Hindi
39 Views
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