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13 Jun 2024 · 1 min read

कागज

कागज (स्वर्णमुखी छंद/सानेट)

कागज से प्रेम प्रदर्शन हो।
इस पर ही सारा विश्व दिखे।
लेखक मानव इतिहास लिखे।
इस पर ही ईश्वर दर्शन हो।

इसके बिन काम नहीं चलता।
इस पर अंकित हर हिसाब है।
कागज पर सारी किताब हैं।
इस पर ही “नोट” छपा करता।

कागज ही जीवनशैली है।
यही नियुक्ति पत्र बन जाता।
यही हँसाता और रुलाता।
कागज ही असली थैली है।

कागज का व्यापार पुराना।
सारे जग का यही तराना।।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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