जब दादा जी घर आते थे
सबके ह्रदय खिल जाते थे
जब दादा जी घर आते थे–जब दादा जी
छाता लेकर घर से जाना
थैला लेकर घर में आना
हमें देखकर बस मुस्काते थे–जब दादा जी
कहते थे कल शहर है जाना
बोलो बच्चो क्या है लाना
खुश होकर हम बतलाते थे–जब दादा जी
मुंगफली गज्जक रेवड़ी लाते
जामुन आम खरबुजा लाते
साथ बैठकर सब खाते थे–जब दादा जी
दिन भर थके हारे जब आते
दादा जी के हम पैर दबाते
प्यार से वो सिर सहलाते थे–जब दादा जी
कहाॅ॑ ‘V9द’ बचपन की बातें
निस्वार्थ थे सब रिश्ते-नाते
भेद-भाव सभी मिट जाते थे–जब दादा जी