जग में रिश्ते हैं अनमोल
मन की गांठें कुछ खोल
जग में रिश्ते हैं अनमोल
जुबान को कैंची न बना
तंज के तीर न चला
मन को यूं काला ना कर
जहरीला निवाला न कर
सोच-समझकर के बोल
जग में रिश्ते हैं अनमोल।
प्यार भरा मुस्कुराहट हो
बातों में ना कोई बनावट हो
अक्सर वहां आना -जाना हो
अपनों से मिलने का बहाना हो
जुबान में शहद सा घोल
जग में रिश्ते हैं अनमोल
दूसरों को यूं जलाया न कर
झूठी शान पर इतराया न कर
शीशा किसी को तोड़ता नहीं
वक्त किसी को छोड़ता नहीं
अपनों को ना यूं तोल
जग में रिश्ते हैं अनमोल।
नूरफातिमा खातून नूरी
जिला कुशीनगर