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16 Apr 2024 · 1 min read

पुष्पों की यदि चाह हृदय में, कण्टक बोना उचित नहीं है।

पुष्पों की यदि चाह हृदय में, कण्टक बोना उचित नहीं है।

प्रेम करोगे प्रेम मिलेगा,
सदियों से जग की परिपाटी।
पैर धरा पर रखने वालों ,
का आदर करती है माटी।
धैर्यशीलता पौरुष बल है,
इसको खोना उचित नहीं।

पुष्पों की यदि चाह हृदय में, कण्टक बोना उचित नहीं है।।

क्षमादान अरु दानशीलता,
सुखमय जीवन की परिभाषा।
मानव मन को द्वेष जुगुप्सा,
क्रोध दिलाते गहन निराशा।
अहंकार का बोझ शीश पर,
निशि-दिन ढोना उचित नहीं है।

पुष्पों की यदि चाह हृदय में, कण्टक बोना उचित नहीं है।।

अधम भाव को प्रश्रय देना,
अवनति का जग में परिचायक।
जो जीवन परहित को अर्पित,
वही जगत में पूजन लायक।
मानव जीवन पाकर जग में
निष्ठुर होना उचित नहीं है।

पुष्पों की यदि चाह हृदय में, कण्टक बोना उचित नहीं है।।

सुख का सपना देख रहे हो,
ज्योति जलाओ तो पथ रौशन।
मन उदार अरु सत्यनिष्ठ ही,
सदा करे हर मन पे शासन।
परहित से परहेज़ करे नर,
दुख में रोना उचित नहीं है।

पुष्पों की यदि चाह हृदय में, कण्टक बोना उचित नहीं है।।

कीकर बोकर चाह आम्र की,
रखने वाला मुर्ख महाशठ।
जो भटके को राह दिखाये,
वही जगत में वीर महाभट।
निज पर जो उपकार करे जन,
परहित धोना उचित नहीं है।

पुष्पों की यदि चाह हृदय में, कण्टक बोना उचित नहीं है।।

✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 24 Views
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