चेतावनी
सुनो विदेह!शस्त्र उठाय, काटिल वन को ,
बुद्धिक ज्ञानक दीप जराय,
दानव धारा ताहि से बचाय !
चलू वैदिक ओहि ओर मगध को
अंधकार सब छोरि जाय।
राज भवन छोरय साधक को,
तथागंतसे संग चलो हित सजाय।
धम्मक हेतु अहिंसक शस्त्र,
विदेह धारा के,कपिल धारा से
जैन इतिहासमे जानू,कनिक प्रमाण लिअ
उठय हमरा संगे सत्यक निवास भ भटकि धरतीक,आशा रहय भव्य रंगे।
सत्य अहिंसा क मार्ग अपनाय,
बुधिक सभ सर्वधन गप बजाय,
धम्मक स्तंभक वन वन से,
भारतीक अभिनव रंग पाए,आब ओ वन
चाणक्य-चन्द्रगुप्तक, महान विदेह से ,
विदेही अशोक सम्राट सुतल, मंगध मे ।
बुद्धिक शिक्षा सँ नव जोति,
वैराग्यक सुमन पुष्पित ,रे माधव ।
सुनो विदेह, शस्त्र अहिंसक उठाय,
भगवती सपथ से माधव!
जगत वेदन सँ कानय!
वैदिक चलि मगध ओर ।
शांतिपथक संग,अखिल संसार को,
पुरखा यश कीर्ति अर्पण करय।
नैतिक -धर्म क आलोक से,
विश्व शांतिक मंगल सृजन करय।
ओ मिथिला, विदेह से प्रिये माधव !
—श्रीहर्ष—-