Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Apr 2017 · 3 min read

गुरु तेगबहादुर की शहादत का साक्षी है शीशगंज गुरुद्वारा

मुगल बादशाह औरंगजेब महत्वाकांक्षी, क्रूर और अत्याचारी बादशाह था। दिल्ली के तख्त पर आसीन होने के लिए उसने अपने पिता शाहजहाँ को तो जेल में डाला ही, अपने तीन सगे भाई भी कत्ल करवा दिये। औरंगजेब किसी धर्म नहीं बल्कि सत्ता के कुकर्म का जीता-जागता उदाहरण था। निरंकुश शासन करने की महत्वाकांक्षा के चलते उसने हिन्दू-शासकों को लालच देकर या जबरन उनके राज्य अधिकार छीन लिए। हिन्दुओं पर नया टैक्स ‘जजिया’ थोप दिया। यहाँ तक कि मेलों, तीर्थ-स्थानों एवं धार्मिक हिन्दू रीति-रिवाजों को शाही फरमान जारी कर बन्द करा दिया। जब बडे-बडे संतों-भक्तों-फकीरों ने उसकी इस कट्टरता को स्वीकार नहीं किया तो उन्हें भी मौत के घाट उतारना शुरू कर दिया।
इतिहास बताता है कि इस सनकी बादशाह के हुक्म का पालन करते हुए जब जनरल अफगान खाँ ने कश्मीरी पंडितों पर इस्लाम कुबूल करने के लिए दबाब डाला तो कश्मीरी पंडित अत्यंत भयभीत होकर गुरु तेगबहादुर की शरण में गये और रक्षा की गुहार लगाई। गुरुजी ने कहा कि हम सब मिलकर बादशाह के अभियान का विरोध करेंगे, भले ही हमें अपने प्राण ही क्यों न देने पड़ें।
औरंगजेब को गुरुजी के इरादों की जब भनक लगी तो उसने गुरु तेगबहादुर को दिल्ली बुलवाया और उनसे इस्लाम कबूल करने को कहा। गुरुजी ने जब यह सब करने से साफ इनकार कर दिया तो क्रूर बादशाह ने क्रोधित होकर उन्हें कारा में डलवा दिया। उनके शिष्यों और हिन्दुओं का आंतकित करने की गरज से मतिराम नामक सिख को आरे से चिरवाया और दिआले नामक सिख को उबलती देग में फैंक दिया गया। इस नीच कर्म के बाद औरंगजेब ने गुरुजी से कहा -‘यदि आप मुसलमान नहीं बनोगे तो आपका भी यही हश्र होगा।’ शेष रहे तीनों सिखों को गुरुजी ने आदेश दिया कि मेरा अंतिम समय आ गया है, तुम पंजाब लौट जाओ। उनके शिष्य गुरुदत्ता अदे और चीमा ने कहा -‘गुरुजी हमारे तो बेडियाँ पड़ी हैं, हम कैसे जा सकते हैं।’ गुरुजी बोले- गुरुवाणी का पाठ करो, बेडियाँ अपने आप टूट जायेंगी। दरवाजे अपने आप खुल जायेंगे। तीनों शिष्यों ने जब गुरुवाणी का जाप किया तो गुरु आशीर्वाद से दरवाजे खुल गये और बेडियाँ टूटकर जमीन पर गिर पडीं। तीनों स्वतंत्र होकर वहाँ से भाग गये। अकेले रह गये गुरुजी जाप करने लगे –
राम नाम उरि मैं गहिऔ जाके सम नहिं कोइ
जिह सिमरत संकट मिटै दरस तुहारौ होई।
11 नवम्बर 1675 का मनहूस दिन। क्रूर बादशाह औरंगजेब जेल में आया। उसने गुरुजी को जेल से बाहर निकाला और दिल्ली के चाँदनी चौक स्थान पर ले आया। भारी हजूम के बीच इसी चौक पर उनका सरेआम कत्ल कर दिया गया। इस दर्दनाक घटना के गवाह वहाँ जितने भी लोग खड़े थे, सबकी आँखों से अश्रु की अविरल धारा फूट पड़ी। प्रकृति ने भी तेज तूफान के रूप में प्रकट होकर अपना रोश जताया। जब अंधेरा हो गया तो जीवन सिंह नामक सिख ने गुरुजी का कटा हुआ शीश कपड़े में लपेटा और उसे आनंदपुर ले आया और चन्दन की लकड़ी की चिता के हवाले सम्मानपूर्वक कर दिया।
दिल्ली में जहाँ गुरुजी का कत्ल हुआ आज वहाँ एक गुरुद्वारा ‘शीशगंज’ के नाम से है। यह गुरुद्वारा गुरुजी की शहादत का साक्षी है। जिस पर सिख अत्यंत श्रद्धा के साथ माथा टेकते हैं और अरदास करते हैं।
गुरुजी के धड़ को जिस स्थान पर अग्नि को समर्पित किया गया, उस स्थान पर दिल्ली में गुरुद्वारा ‘रकाबगंज’ के नाम से है। यह गुरुद्वारा भी उतनी ही श्रद्धा और पूजा का स्थल है जितना कि शीशगंज गुरुद्वारा।
————————————————————-
रमेशराज,सम्पर्क – 15/109, ईसानगर, अलीगढ़

Language: Hindi
Tag: लेख
729 Views

You may also like these posts

भव्य भू भारती
भव्य भू भारती
लक्ष्मी सिंह
हथेली में नहीं,
हथेली में नहीं,
Mahetaru madhukar
*खो गया  है प्यार,पर कोई गिला नहीं*
*खो गया है प्यार,पर कोई गिला नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सूखा पेड़
सूखा पेड़
Juhi Grover
पतझड़ से बसंत तक
पतझड़ से बसंत तक
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
बेटियां बोझ नहीं
बेटियां बोझ नहीं
Sudhir srivastava
#समय समय से चलता
#समय समय से चलता
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
यदि मैं अंधभक्त हूँ तो, तू भी अंधभक्त है
यदि मैं अंधभक्त हूँ तो, तू भी अंधभक्त है
gurudeenverma198
कविता
कविता
Rambali Mishra
इस तरफ न अभी देख मुझे
इस तरफ न अभी देख मुझे
Indu Singh
4658.*पूर्णिका*
4658.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गम खास होते हैं
गम खास होते हैं
ruby kumari
जीवन
जीवन
Santosh Shrivastava
सब ठीक है ।
सब ठीक है ।
Roopali Sharma
जाडा अपनी जवानी पर है
जाडा अपनी जवानी पर है
Ram Krishan Rastogi
तन तो केवल एक है,
तन तो केवल एक है,
sushil sarna
अभाव अमर है
अभाव अमर है
Arun Prasad
अपना बन जायेगा
अपना बन जायेगा
Ghanshyam Poddar
अच्छाई बाहर नहीं अन्दर ढूंढो, सुन्दरता कपड़ों में नहीं व्यवह
अच्छाई बाहर नहीं अन्दर ढूंढो, सुन्दरता कपड़ों में नहीं व्यवह
Lokesh Sharma
" सिला "
Dr. Kishan tandon kranti
सर्दी के हैं ये कुछ महीने
सर्दी के हैं ये कुछ महीने
Atul "Krishn"
श्री राम आ गए...!
श्री राम आ गए...!
भवेश
*क्या देखते हो *
*क्या देखते हो *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*नेत्रदान-संकल्प (गीत)*
*नेत्रदान-संकल्प (गीत)*
Ravi Prakash
"चांद है पर्याय हमारा"
राकेश चौरसिया
তোমাকে ভালোবাসে
তোমাকে ভালোবাসে
Sakhawat Jisan
सपने देखने का हक हैं मुझे,
सपने देखने का हक हैं मुझे,
Manisha Wandhare
🙅पूछ रहा दर्शक🙅
🙅पूछ रहा दर्शक🙅
*प्रणय*
होली
होली
Shutisha Rajput
कप और ग्रिप
कप और ग्रिप
sheema anmol
Loading...