चुनाव चालीसा
समय आ गया है वीरों,अब यह करके तुम्हें दिखाना है।
भारत की गरिमा की खातिर,अब फिर से कमल खिलाना है।।
बन चौकीदार जिस नायक ने भारत का मान बढ़ाया है।
उस नमो के मस्तक पर लगा तिलक अब जीत का परचम लहराना है।।
बिगुल बज गया चौबीस का जिसको हर घर घर तक पहुंचाना है।
इस बार तीन सौ सत्तर सीटों पर संसद में कमल खिलाना है।।
यह धरती उन शेरों की है जो अपने दम पर ललकारें भरते हैं।
भेड़िए बना ले झुंड अगर चुन चुन कर उनका शिकार भी करते हैं।।
भारत की समृद्धि की जोत जो नमो ने चौदह में सुलगाई थी।
उस जोत से बनी ज्वाला को तिरंगे संग देश विदेश में भी फहराना है।।
कसम उठाकर देशभक्ति की अब तो जाति धर्म से ऊपर उठ जाना है।
जिन हाथों में देश सुरक्षित है उनकी खातिर हर कड़ी को जोड़ते जाना है ।।
हर गरीब हर युवा हर महिला और हर किसान को यही समझाना है।
यह देश तुम्हारा ही है भारत, इस पर अब राज तुम्हारा ही आना है।।
यह कहे विजय बिजनौरी जरा उन चील और कव्वों को तो पहचानों।
जिनके पंजों से खींच देश तुम्हारा दिया तुम्हें तुम मानो या फिर ना मानो।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।