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1 Sep 2023 · 2 min read

जो बीत गया उसे जाने दो

जो बीत गया उसे जाने दो,
फिर से नव स्वप्न सजाने दो,
टूट के_ बिखरे खंडहरों में,
फिर से दीप जलाने दो,

गिरना उठाना फिर से चलाना,
सुनो मुसाफिर, कभी न रुकना,
तुम्हें मंजिल से पहले नही ठहरना,
ये संकल्प आज उठाने दो,

जो बीत गया उसे जाने दो
फिर से नव स्वप्न सजाने दो।।

जब धरती ग्रीष्म में तपती है,
अंगारों के सम जलती है,
शुष्क हवा के थपेड़ों से,
फिर सारी सृष्टि दहलती है,
नभ पर घनघोर बादल छाया,
इसको तन मन को भीगने दो ।।

जो बीत गया उसे जाने दो,
फिर से नव स्वप्न सजाने दो।।

जब ठोकर लगती गिर जाते हैं,
फिर भी मुसाफिर चलते जाते है,
अवरोध बहुत आते हैं लेकिन,
पर कभी वीर नही घबराते हैं ।।
सिर्फ स्वप्न देखने से क्या होगा ?
सपनों को साकार बनाने दो,

जो बीत गया उसे जाने दो,
फिर से नव स्वप्न सजाने दो।।

जब आते भीषण झंझावात,तो कुछ तरु गिर जाते हैं
नवीन सृजन को वो अपने,बीज अंकुरित कर जाते है,
ऐसे ही जीवन होता है,तूफान तो आते जाते है,
जीवन के तूफानों से,अब जी भर के टकराने दो,

जो बीत गया उसे जाने दो,
फिर से नव स्वप्न सजाने दो,

पथ सरल न होता मंजिल का,
पथ में अनेक विघ्न आते है,
जो बाधाओं से न विचलित होते,
वही लोग मंजिल पाते है,
जो गिर गिर के उठ जाते है,।
वह लोग इतिहास रच जाते है,
इतिहास के नए पन्नों पर,
एक अध्याय और लिख जाने दो ।।

जो बीत गया उसे जाने दो,
फिर से नव स्वप्न सजाने दो,

जो उम्मीदों को जिंदा रखते है
जो कभी नही हौसला तजते है,
जो अपने दिल की सुनते है,
वो अपने मन की करते है,
रुके नहीं कभी कदम तुम्हारे,
अब इनको मंजिल पाने दो,

जो बीत गया है उसे जाने दो,
फिर से नव स्वप्न सजाने दो।

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