Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Feb 2023 · 1 min read

सफ़र

जितना साथ दे हमसफ़र,
उतना ही काफ़ी है,
इस ज़िदगानी पर कब किसका इख़्तियार,
तब तक है ,जब तक सांस बाक़ी है ,
ख़्वाबों के अब्र आरज़ू़ -ए- आसमाँ में
मंडराते रहते हैं ,
ख़्वाहिशों के ज्वार एहसास -ए- समंदर में
उठते गिरते रहते हैं ,
सब कुछ पाकर भी , कुछ खोने का ग़म
जाता कभी नहीं है ,
वक्त की दहलीज़ पर लम़्हों का हिसाब
होता कभी नहीं है,
खुद ही अपनी अना से बर्बाद हुए हैं ,
मोरिद -ए -इल्ज़ाम औरों को करते रहे हैं ,
झांक कर खु़द के गिरेबाँ में कभी
हमने ना देखा है ,
औरों के दाम़न के दाग़ों को हमेशा
उजागर करते रहे हैं ,
ग़र्दिश -ए- दौराँ में एक -एक कर सब
साथ छोड़ते गए,
इस सफ़र की इंतिहा में हम फ़क़त
अकेले रह गए।

Language: Hindi
321 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
फिर दिल मेरा बेचैन न हो,
फिर दिल मेरा बेचैन न हो,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मेरे जीवन के इस पथ को,
मेरे जीवन के इस पथ को,
Anamika Singh
मुझे तुम
मुझे तुम
Dr fauzia Naseem shad
जिन पांवों में जन्नत थी उन पांवों को भूल गए
जिन पांवों में जन्नत थी उन पांवों को भूल गए
कवि दीपक बवेजा
बगावत की बात
बगावत की बात
AJAY PRASAD
अभिनय से लूटी वाहवाही
अभिनय से लूटी वाहवाही
Nasib Sabharwal
3223.*पूर्णिका*
3223.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बड़ी दूर तक याद आते हैं,
बड़ी दूर तक याद आते हैं,
शेखर सिंह
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
नये वर्ष का आगम-निर्गम
नये वर्ष का आगम-निर्गम
Ramswaroop Dinkar
मां का घर
मां का घर
नूरफातिमा खातून नूरी
#शेर-
#शेर-
*Author प्रणय प्रभात*
किसी भी चीज़ की आशा में गँवा मत आज को देना
किसी भी चीज़ की आशा में गँवा मत आज को देना
आर.एस. 'प्रीतम'
मेवाडी पगड़ी की गाथा
मेवाडी पगड़ी की गाथा
Anil chobisa
Ishq ke panne par naam tera likh dia,
Ishq ke panne par naam tera likh dia,
Chinkey Jain
एक पूरी सभ्यता बनाई है
एक पूरी सभ्यता बनाई है
Kunal Prashant
"उपकार"
Dr. Kishan tandon kranti
अदम गोंडवी
अदम गोंडवी
Shekhar Chandra Mitra
*जीवन्त*
*जीवन्त*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
धनतेरस जुआ कदापि न खेलें
धनतेरस जुआ कदापि न खेलें
कवि रमेशराज
चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
Rj Anand Prajapati
कर रही हूँ इंतज़ार
कर रही हूँ इंतज़ार
Rashmi Ranjan
देख भाई, सामने वाले से नफ़रत करके एनर्जी और समय दोनो बर्बाद ह
देख भाई, सामने वाले से नफ़रत करके एनर्जी और समय दोनो बर्बाद ह
ruby kumari
स्त्री एक कविता है
स्त्री एक कविता है
SATPAL CHAUHAN
कुछ बीते हुए पल -बीते हुए लोग जब कुछ बीती बातें
कुछ बीते हुए पल -बीते हुए लोग जब कुछ बीती बातें
Atul "Krishn"
वक्त नहीं
वक्त नहीं
Vandna Thakur
नींद
नींद
Diwakar Mahto
जाकर वहाँ मैं क्या करुँगा
जाकर वहाँ मैं क्या करुँगा
gurudeenverma198
असतो मा सद्गमय
असतो मा सद्गमय
Kanchan Khanna
जिंदगी को रोशन करने के लिए
जिंदगी को रोशन करने के लिए
Ragini Kumari
Loading...