चुनावी दौर
प्रदीप छन्द–
***********
जहाँ आगमन हो नेता का,लगती बड़ी कतार है।
चमचों से रह-रह कर हर पल,होती जय जयकार है।
देख असीमित भीड़ वहाँ पर,भाषण की बौछार हो।
कहें वोट मुझको ही देना,मेरी ही सरकार हो।।१।।
वादे और इरादे झूठे,रोजगार के पक्ष पर।
पुनः धूमफिर कर आते हैं,वोट भुनाती अक्ष पर।।
भोली जनता समझ नजाकत,अड़ती है निज माँग पर।
किन्तु चतुर नेता भी दिग्गज,करें भरोसा स्वाँग पर।।२।।
अन्तिम रात्रि प्रलोभन नगदी,रहे बलवती यदि कहीं।
निःसंदेह मानिए तो फिर,शासन धूर्तों का वहीं।।
किन्तु आज जनता भी माहिर,समझ रही हर चाल को।
स्वयं विजय पाती है अन्तिम,बिना गलाए दाल को।।३।।
**माया शर्मा, पंचदेवरी, गोपालगंज (बिहार)**