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27 Apr 2024 · 1 min read

तुम्हारी याद

जब तुम्हारी याद आती
एक तारा टूटता है
शान्त ज्वालामुखी उर का
दहकता है, फूटता है

जब तुम्हारी याद आती
कांच—सा मन दरकता है
और नयनों से व्यथा का
एक आंसू ढरकता है

जब तुम्हारी याद आती
सो न पाता एक पल मैं
जागता, जीवन—पहेली
कर न पाता मगर हल मैं

जब तुम्हारी याद आती
मैं निकट तुमको न पाता
तब उठा कागज—कलम मैं
गीत—गंगा में नहाता

महेशचन्द्र त्रिपाठी

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