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4 Apr 2023 · 1 min read

मेरे प्रिय कलाम

कभी हुनर नहीं खिलता
कभी जज्बा नहीं मिलता,
हजारों बुलन्दियां होतीं,
पर ये रुतबा नहीं मिलता।
समन्दर हो जमीं हो या के
हो आसमान की बातें,
जो प्रिय कलाम ना होता
इन्हें ककहरा नहीं मिलता।
ये मेरे मुल्क की मिट्टी का
उपजा हुआ वो सोना है,
जो सदियों में निकलता है
तो फिर मुल्क खिलता है ।।

@दीपक कुमार श्रीवास्तव “नील पदम्”

Language: Hindi
5 Likes · 420 Views
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