युग बीत गया
एक युग बीत गया हो जैसे, तेरी चितवन को पाए
नैन भए पत्थर हों जैसे, तेरी राह में पलक बिछाए…
सुन स्वामी अंतर्यामी है तू ,सर्वज्ञ सर्व व्यापी है तू
फिर काहे टेर ये टारी है, बीत रहे पल तुझे बुलाए ..
तू तो घट घट बासी है,तू सच्चिदानंद गुणराशी है
वन मधुवन की तुमसे शोभा, कली सुमन में मुस्काए ..
हे पाँच तत्व के निर्माता, सकल संगीत तुझे ही गाता
शब्द नाद अनहद में तुम , ॐ ओंकार में तुम ही समाए …
हे राधा के कान्हा सुन, मीरा के गिरधर नागर सुन
तुम दादू की धड़कन में रहते, सकल सृष्टि तुम ही समाए