चिट्ठी आई है
हिन्दी सिनेमा के इतिहास में लम्बे गानों की फेहरिस्त जब भी बनाई जाएगी, तब लगभग आठ मिनट का ये गीत- ‘चिट्ठी आई है’ जरूर शामिल होगा। सन् 1986 में महेश भट्ट की फ़िल्म “नाम” में, लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल की धुन में और पंकज उधास के स्वर में सजे ये गीत- ‘चिट्ठी आई है’ अत्यन्त मर्मस्पर्शी है।
सच कहूँ तो प्रवासी भारतीयों की जिन्दगी की एक चुभन है ये गीत। इस गाने ने बहुतों को रुलाया। वस्तुतः यह गीत दिलों में जज्बात की बारिश करते हैं। खास कर उनके, जिनके घर वाले सात समन्दर पार चले गए, बेहतर जिन्दगी की तलाश में।
मैं एक कृषक-पुत्र हूँ। बावजूद ये गीत अब भी मेरे मनो-मस्तिष्क को झकझोर कर रख देता है। अब भी ये गीत सुनने पर आँखें नम हो जाती हैं और मन भींग जाता है :
चिट्ठी आई है,, आई है
चिट्ठी आई है,
चिट्ठी आई है, वतन से चिट्ठी आई है
बड़े दिनों के बाद,
हम बे-वतनों को याद
वतन की मिट्टी आई है
चिट्ठी आई है,, आई है
चिट्ठी आई है।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत के 100 महान व्यक्तित्व में शामिल
एक साधारण व्यक्ति।