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10 Jan 2024 · 1 min read

“चाह”

“चाह”
चढ़े चोटियाँ कुछेक मनुज
दरिया में सकल समाय,
गर बनाने हों दरिया अरु चोटियाँ
मेरे प्रभु,
मुझे दरिया ही बनाय।
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति

8 Likes · 5 Comments · 156 Views
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