चांद दिलकश चेहरा छुपाने लगा है
चांद दिलकश चेहरा छुपाने लगा है
भोर का सूरज मुस्कुराने लगा है
तालाब भरे बारिश की पानी से
जलकुंभी को हवा तैराने लगें हैं
बारिश के बाद निकला सूरज
दिलकश धनक रिझाने लगा हैं
शहर की जिंदगी से ऊबकर के
गांव का नजारा याद आने लगा हैं
क्या खोया क्या पाया है आदमी
इस वहम में खुद को भुलाने लगा हैं
हो जाय जगमग सारा संसार
हर शख्स दीया जलाने लगा हैं
नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला -कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
मौलिक स्वरचित