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26 Aug 2024 · 1 min read

चांद दिलकश चेहरा छुपाने लगा है

चांद दिलकश चेहरा छुपाने लगा है
भोर का सूरज मुस्कुराने लगा है

तालाब भरे बारिश की पानी से
जलकुंभी को हवा तैराने लगें हैं

बारिश के बाद निकला सूरज
दिलकश धनक रिझाने लगा हैं

शहर की जिंदगी से ऊबकर के
गांव का नजारा याद आने लगा हैं

क्या खोया क्या पाया है आदमी
इस वहम में खुद को भुलाने लगा हैं

हो जाय जगमग सारा संसार
हर शख्स दीया जलाने लगा‌ हैं

नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला -कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
मौलिक स्वरचित

Language: Hindi
59 Views

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