चलो कुछ बात करते हैं
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चलो कुछ बात करते हैं।
कुछ तुम अपनी कहो,
कुछ हम सुनाते हैं।
यूँ खामोश बैठने से
अच्छा है कि
कुछ गुनगुनाते हैं।
कहते हैं कि –
खामोशी बोलती है।
पर ये
इन्सानों को तोड़ती है।
चलो
इन खामोशी को तोड़
खुल कर मुस्कुराते हैं।
चलो कुछ बात करते हैं।
कुछ अपनी सुनाओ
कुछ हम सुनाते हैं।
चलो कुछ बात करते हैं।
जिन्दगी की
कुछ खुशियाँ
कुछ परेशानियाँ
एक दूजे से बाँट लेते हैं।
चलो कुछ बात करते हैं।
चलो दोस्ती की
चटाई पर
गपशप लड़ाते हैं।
चलो कुछ बात करते हैं।
बचपन की क्या
जवानी के हर
किस्से सुनाते हैं।
चलो कुछ बात करते हैं।
जीवन के हर क्षण
से कुछ नगमा चुराते है।
चलो कुछ गुनगुनाते हैं,
चलो कुछ बात करते हैं।
बीते दिनों की यादो को
फिर से दुहराते हैं।
कुछ तुम अपनी कहो
कुछ हम सुनाते हैं।
चलो दोस्ती की
चटाई पर
गपशप लड़ाते हैं।
????-लक्ष्मी सिंह??